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Taal Thok Ke: आज की बहस ये है कि 24 की चाबी मां यानी महिलाओँ के पास है, तब ये भी जानना पड़ेगा कि चुनाव में 'मां' किसके साथ है? मां, माटी और मानुष के नारे से 'खेला' करने वालीं ममता बनर्जी आज और परेशान हुईं। वो इसलिये क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी 5 दिन में दूसरी बार आज बंगाल पहुंच गये। ममता ने अपना थोड़ा गुस्सा तो अंडर वाटर मेट्रो के उद्घाटन से दूर रहकर निकाला। लेकिन मोदी ने संदेशखाली पर फिर भी पारा चढ़ाया। बारासात की रैली में प्रधानमंत्री के मंच पर और भीड़ में महिलाएं ही महिलाएं थीं। संदेशखाली की TMC नेता शाहजहां से पीड़ित महिलाएं भी प्रधानमंत्री से मिलने पहुंची थीं। मोदी ने फिर संदेशखाली को लेकर निशाना साधा और कहा कि ममता दीदी को महिलाओं की नहीं शाहजहां को बचाने की फिक्र है। प्रधानमंत्री का हमला शाहजहां को बचाने के लिये ममता सरकार की हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक की भाग-दौड़ पर था। ये कोशिशें फेल भी हो चुकी हैं, क्योंकि दोनों अदालतों से ममता को झटका लगा है। और शाहजहां को हिरासत में लेने के लिये CBI की टीम कोलकाता में पुलिस हेडक्वार्टर पहुंच चुकी है। हमने पहले भी सवाल उठाया था कि- जैसे सिंगूर और नंदीग्राम ममता बनर्जी के लिये बूस्टर थे, वैसे ही संदेशखाली बीजेपी के लिये बूस्टर साबित होगा? बंगाल के पिछले 3 चुनावों में महिलाओं का बड़ा वोट बैंक ममता से मोदी की तरफ़ शिफ्ट हुआ है। क्या संदेशखाली उसी अंतर को और बढ़ा करेगा? या फिर महिलाएं मोदी की बजाए ममता को ही चुनेंगी? ये भी जानेंगे कि क्या संदेशखाली का सियासी संदेश बंगाल से बाहर जा पाएगा? आज ही बीजेपी ने सोशल मीडिया हैंडल पर महिलाओं को लेकर मोदी सरकार के बड़े-बड़े काम गिनाये हैं। इसके पीछे भी क्या यही विज़न है कि 24 की चाबी मां के पास है?
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