Taal Thok Ke: मोदी विरोध में 'विस्फोट' तक?

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Taal Thok Ke: अयोध्या में भव्य राम मंदिर के उद्घाटन में बस 15 दिन रह गये हैं. जैसे-जैसे 22 जनवरी पास आ रही है तैयारियां और तेज़ हो रही हैं. उत्साह भी बढ़ता जा रहा है। राम मंदिर ट्रस्ट पहले दिन से अपील कर रहा है कि 22 जनवरी को वो ही लोग आएं जिन्हें निमंत्रण मिला है। ये अपील उद्घाटन समारोह की व्यवस्था के लिहाज़ से भी है. इसलिये लोग भी मन से तैयार हैं कि 22 जनवरी को अपने गांव-मोहल्ले को ही अयोध्या मानकर रामलला की पूजा करेंगे. उसके बाद जब सुविधा रहेगी, तब अयोध्या की यात्रा करेंगे. लेकिन राम मंदिर पर होने वाली राजनीति प्रधानमंत्री मोदी का विरोध करते-करते अब रामभक्तों को डराने तक पहुंच गई है. एक नैरेटिव खड़ा किया जा रहा है कि 22 जनवरी को या फिर उसके बाद जब लोग अयोध्या जाएं..तो उनके साथ अनर्थ हो सकता है. पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने जुलाई में कहा था कि- राम मंदिर के उद्घाटन से पहले ये बीजेपी वाले कुछ भी करा सकते हैं, बम फिंकवा सकते हैं, सियासी सहानुभूति के लिये किसी बड़े नेता की हत्या भी करा सकते हैं. अगस्त में शिवसेना के संजय राउत ने कहा- जब रामभक्त ट्रेनों में भरकर अयोध्या जाएंगे तो ट्रेनों पर पत्थरबाज़ी हो सकती है, गोधरा जैसा कुछ हो सकता है. सितंबर में उद्धव ठाकरे ने इस बात को रिपीट किया. कहा- रामभक्त बसों और ट्रेनों में अयोध्या जाएंगे तो गोधरा जैसा कुछ हो सकता है. तीन दिन पहले कांग्रेस के नेता बीके हरिप्रसाद बोले- बीजेपी पुलवामा या गोधरा जैसा कुछ करा सकती है, ये सब कराने में उसे 30 साल से महारत है। हरिप्रसाद के पीछे-पीछे अशोक गहलोत बोले कि बीजेपी बालाकोट जैसा फ़ायदा उठाने की फिराक में है और अब RJD के विधायक अजय सिंह ने कहा है कि बीजेपी का कोई भरोसा नहीं कि अयोध्या में भीड जमा के खुद ब्लास्ट करा दे. और फिर पाकिस्तानियों या मुसलमानों पर इल्ज़ाम डाल दे. और छठा बयान AIUDF के नेता बदरुद्दीन अजमल का है. कल ही उन्होंने देश के मुसमलानों से एक अपील की कि 20 से 25 जनवरी तक अपने घरों में ही रहें. बाहर ना निकलें. बस या ट्रेन से सफ़र ना करें. क्योंकि बीजेपी कुछ भी करा सकती है. तीन दिन पहले केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा था- उन्हें शक़ है कि विपक्षी दल जिस तरह राम मंदिर के उद्घाटन और पीएम मोदी का विरोध कर रहे हैं, हो सकता है यही लोग कुछ गड़बड़ करा दें. तो आज की बहस इसी पर. जानेंगे कि 22 जनवरी से पहले गोधरा-पुलवामा जैसे अंदेशों के पीछे क्या वजह है? इस डर की वाकई कोई वजह भी है या फिर ये 24 के लिये डराने वाली सियासत है?
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